गुलदार के हमले से सदमे में ‘सीमा’! तेंदुए को पकड़ने के लिए बनाया गया था उसको चारा, और फिर…?

कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल. मौत का खौफ किसे नहीं होता है, चाहे वह इंसान हो या जानवर, जब मौत सामने हो तो होश उड़ जाता हैं. ऐसा ही कुछ हुआ सीमा के साथ. सीमा पिछले 2 दिनों से सदमे में है. सीमा पर गुलदार ने हमला किया था. गुलदार के हमले में सीमा को कुछ चोट भी लगी हैं. सीमा ने मिमियाना भी कम कर दिया है, वहीं वह घास भी नहीं खा रही है. दरअसल सीमा एक बकरी है, जिसे गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे में रखा गया था.

पिंजरे में बंधी बकरी देख रात के अंधेरे में गुलदार बकरी की गंध सूंघ पिंजरे की ओर आ गया और हमला करने की योजना के साथ पिंजरे में घुसा. इस दौरान गुलदार के नाखूनों से बकरी भी कुछ घायल हुई. वहीं गुलदार पिंजरे में कैद हो गया, लेकिन इस घटना के बाद से ही सीमा सदमे में है. हमले के बाद वह कई घंटों तक बेहोश भी रही. दिनभर सीमा ने कुछ नहीं खाया.

गढ़वाल में गुलदार का आतंक
दरअसल उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में इन दिनों गुलदार का आतंक बना हुआ है. नगर क्षेत्र के आसपास कई गुलदार सक्रिय हैं. ऐसे में इन गुलदारों को कैद करने के लिए वन विभाग ने पिंजरे लगाए हैं. इन्हीं में से एक पिंजरे में देर रात एक गुलदार कैद हुआ. यह गुलदार बकरी की गंध सूंघ यहां पहुंचा था, लेकिन जब गुलदार पिंजरे में बकरी पर हमला करने गया, तो वह पिंजरे में कैद हो गया. पिंजरे के दूसरे हिस्से में अपने शिकार को देख गुलदार उसे निवाला बनाने की कोशिश में जुटा रहा, लेकिन पिंजरे के बीच में लोहे की सलाखें होने के कारण गुलदार बकरी को दबोच तो नहीं पाया, लेकिन उसके पंजे से बकरी के मुंह, छाती व अन्य जगह पर चोट आई हैं. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने बकरी को पिंजरे से बाहर निकाला, वहीं गुलदार को नागदेव रेंज भेज दिया है.

हमले के बाद सदमे में सीमा!
स्थानीय निवासी कविता बताती हैं कि शाम साढ़े 7 बजे के करीब गुलदार ने सीमा पर हमला किया. उसके बाद से वह बेहोश पड़ी हुई थी. दो-तीन घंटे बाद सीमा को होश आया, लेकिन वह डरी सहमी हुई थी. वहीं सीमा के मुंह व अन्य जगहों से खून भी टपक रहा था, जिसका उपचार किया गया. कविता बताती हैं कि अगले दिन भी सीमा सदमे में रही. उसने न दिनभर कुछ खाया न ही कोई हरकत की. वह डरी-सहमी रही. चारा भी नहीं खाया.

जानवरों को नहीं पहुंचता नुकसान
नागदेव रेंज के रेंजर ललित मोहन नेगी बताते हैं कि गुलदारों को पकड़ने के लिए वन विभाग द्वारा पिंजरे लगाए गए हैं. इनमें मांस के टुकड़े भी रखे गए हैं. साथ ही उन पिंजरों में कुत्ते या बकरी को भी रखा गया है, जो एक तरफ से सुरक्षित होते हैं. वह कहते हैं कि इस तरह से गुलदार जानवर को अपना शिकार नहीं बना पाता है, हालांकि जानवर इस तरह की घटना से सदमे में भी जा सकते हैं.

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